तुझसे दुर दर्द शायरी

रहकर तुझसे दूर , कुछ यूँ वक़्त गुज़ारा मैंने ना होंठ हिले ,
ना आवाज़ आई फिर भी हर वक़्त तुझको पुकारा मैंने

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